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विगत कुछ दिनों से NSG में भारत के प्रवेश का प्रयास चर्चा में है, चले पहले जान ले NSG है क्या ? NSG 48 देशों समूह है, जो 1974 में भारत के पहले नुक्लिएर परीक्षण के बाद नवंबर1975 में बना। इस समूह के गठन का मुख्य उद्देश्य नुक्लिएर उपकरण, टेक्नोलॉजी और रेडियोएक्टिव पदार्थ क आयात पर नियंत्रण कर नुक्लिएर हथियार के प्रसार को रोकना है। इस समूह के सभी देशों (फ़्रांस को छोड़) ने नुक्लिएर अप्रसार संधि हस्ताक्षर किया है। नुक्लिएर अप्रसार संधि (एनपीटी) तहत सभी देश नुक्लिएर ऊर्जा का उपयोग केवल शांतिपूर्ण कार्यों में करेंगे और नुक्लिएर हथियार निर्माण या उपयोग नहीं करेँगे। इस संधि 191 देशों ने हस्ताक्षर किया है। भारत, पाकिस्तान, इस्रएल और दक्षिण सूडान ने हस्ताक्षर नहीं किया है जबकि उतर कोरिया इस संधि को नहीं मानता है।
भारत और NPT संधि
भारत ने NPT संधि पे हस्ताक्षर नहीं किया है। NPT संधि वर्त्तमान स्वरुप पे हस्ताक्षर करना भारत के लिए सुरक्षा के लिहाज़ से सही नहीं है। इस संधि में केवल 5 देश अमेरिका, रूस, फ्रांस, यूके और चीन ही नुक्लिएर हथियार रख सकते है। भारत की भूगौलिक स्थिति में पाकिस्तान और चीन पड़ोसी देश है, भारत का युद्ध हो चूका है और दोनों ही नुक्लिएर हथियार से युक्त है। भारत के पास नुक्लिएर हथियार होना देश की सुरक्षा, उसके मनोबल के लिए जरुरी है और साथ ही दुसरे देशों के साथ आर्थिक, व्यापारिक रिश्तों को भविष्य बल प्रदान करने में सहायक होगा। भारत सरकार द्वारा NSG प्रवेश क लिए किये जा रहे प्रयास सराहनीय है। कुछ देशो के विरोध मुख्य रूप से चीन का विरोध, भारत की NPT संधि पे हस्ताक्षर न करने के निर्णय को सही कदम ठहरता है। हमें उम्मीद है आगे सभी देश भारत को चिंता समझेंगे और सर्वसमति से भारत के NSG में प्रवेश का मार्ग प्रश्स्त होगा।
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